राधे राधे आजका भगवत चिन्तन
18-12-2019
🕉अपने-आप जो चिन्तन होता है, वह मन में होता है, आपमें नहीं होता। आप अलग हैं, मन अलग है। जैसे आपके मन में चिन्तन होता है, ऐसे ही कुत्ते के मन में भी चिन्तन होता है, तो आप क्या करोगे ! जैसा कुत्ते का अथवा गधे का मन है, वैसा ही यह मन है। दोनों एक ही जाति के हैं। आप उससे मिल जाते हैं, यह गलती होती है। आप मिलो मत। विचार करो कि गलती कहाँ है ? चिन्तन होना गलती नहीं है, गलती यह है कि आप चिन्तन में मिल जाते हो। आप उससे अलग हो जाओ। आप मन में होने वाले चिन्तन से मिलो मत, भगवान के चरणों में रहो तो वह मिट जाएगा।
🕉एक बात पर ध्यान दें। परमात्मा सब जगह हैं तो जो चिन्तन होता है, उसमें क्या परमात्मा नहीं हैं ? इसलिये या तो चिन्तन की उपेक्षा कर दो, या उसमें भगवान को देखो। दोनों का परिणाम एक ही होगा। सेठजी ने ' तत्वचिन्तामणि ' के चौथे भाग में लिखा है कि भगवान के लिये एकान्त में बैठ जाओ। फिर यह संकल्प कर लो कि मेरे मन में जो आयेगा, भगवान ही आयेंगे और मेरा मन कहीं जायगा तो भगवान में ही जायगा, क्योंकि भगवान के लिये ही मैं बैठा हूँ। इतनी सावधानी आपको रखनी है। फिर संसार मिट जायगा और भगवान रह जायेंगे।
🇮🇳🌹🙏🏻🕉 *જય શ્રી કૃષ્ણ*🙏🏻🌹🇮🇳
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